बुधवार, 27 जुलाई 2016

What is Doping Test

क्या है डोपिंग टेस्ट का मकड़जाल और इसमें कैसे फंसते हैं खिलाड़ी?


डोप टेस्ट में पहलवान नरसिंह यादव के फेल होने से रियो ओलंपिक में भारत की मेडल जीतने की उम्मीदों को झटका लगने के साथ ही फजीहत भी हुई है.
ऐसे में सवाल उठता है कि कोई खिलाड़ी डोपिंग क्यों करता है? डोप टेस्ट क्या होता है? यह टेस्ट कौन लेता है? इसके कानूनी प्रावधान क्या है? कोई खिलाड़ी अगर डोप टेस्ट में फेल होता है तो फिर इस पर क्या कार्रवाई होती है?
डोपिंग का जाल
आम तौर पर एक खिलाड़ी का करियर छोटा होता है. अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में होने के समय ही ये खिलाड़ी अमीर और मशहूर हो सकते हैं. इसी जल्दबाजी और शॉर्टकट तरीके से मेडल पाने की भूख में कुछ खिलाड़ी अक्सर डोपिंग के जाल में फंस जाते हैं.
यह बीमारी केवल भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में फैली हुई है. हाल ही में अंतरराष्ट्रीय खेल पंचाट ने डोपिंग को लेकर रूस की अपील खारिज कर दी, जिससे रूस की ट्रैक और फील्ड टीम रियो ओलंपिक में भाग नहीं ले सकेगी. यहां तक कि बीजिंग ओलंपिक 2008 के 23 पदक विजेताओं समेत 45 खिलाड़ी पॉजीटिव पाए गए. बीजिंग और लंदन ओलंपिक के नमूनों की दोबारा जांच में नाकाम रहे खिलाड़ियों की संख्या अब बढ़कर 98 हो गई है.
1968 में पहली बार हुई थी फजीहत
भारत में डोपिंग को लेकर बड़ा खुलासा 1968 के मेक्सिको ओलंपिक के ट्रायल के दौरान हुआ था, जब दिल्ली के रेलवे स्टेडियम में कृपाल सिंह 10 हजार मीटर दौड़ में भागते समय ट्रैक छोड़कर सीढ़ियों पर चढ़ गए थे. उस दौरान कृपाल सिंह के मुंह से झाग निकलने लगा था और वे बेहोश हो गए थे. जांच में पता चला कि कृपाल ने नशीले पदार्थ ले रखे थे, ताकि मेक्सिको ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर पाएं. इसके बाद तो फिर डोपिंग के कई मामले सामने आए.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के नियमों के अनुसार डोपिंग के लिए खिलाड़ी और केवल खिलाड़ी ही जिम्मेदार होता है. डोपिंग में आने वाली दवाओं को पांच श्रेणियों में रखा गया है. ये हैं- स्टेरॉयड, पेप्टाइड हार्मोन, नार्कोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग.
क्या है वाडा और नाडा?
किसी भी खिलाड़ी का डोप टेस्ट विश्व डोपिंग विरोधी संस्था (वाडा) या राष्ट्रीय डोपिंग विरोधी (नाडा) ले सकता है. अंतरराष्ट्रीय खेलों में ड्रग्स के बढ़ते चलन रोकने के लिए वाडा की स्थापना 10 नवंबर, 1999 को स्विट्जरलैंड के लुसेन शहर में की गई थी. इसी के बाद हर देश में नाडा की स्थापना की जाने लगी. इसके दोषियों को 2 साल सजा से लेकर आजीवन पाबंदी तक सजा का प्रावधान है.
कैसे लिया जाता है टेस्ट?
किसी भी खिलाड़ी का कभी भी डोप टेस्ट लिया जा सकता है. इसके लिए संबंधित फेडरेशन को जिम्मेदारी दी गई है. किसी प्रतियोगिता से पहले या प्रशिक्षण शिविर के दौरान डोप टेस्ट अक्सर लिए जाते हैं. ये टेस्ट नाडा या फिर वाडा की तरफ से कराए जाते हैं. वह खिलाड़ियों के मूत्र को वाडा नाडा के विशेष लेबोरेट्री में पहुंचाती है.
नाडा की लेबोरेट्री नई दिल्ली में है. ‘ए’ टेस्ट में पॉजीटिव आने पर खिलाड़ी को बैन किया जा सकता है. यदि खिलाड़ी चाहे तो ‘बी’ टेस्ट के लिए एंटी डोपिंग पैनल में अपील कर सकता है. इसके बाद फिर नमूने की जांच होती है. यदि ‘बी’ टेस्ट भी पॉजीटिव आए तो अनुशासन पैनल खिलाड़ी पर पाबंदी लगा सकती है.

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