शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिहाई

एक दोहे का चमत्कार.........
बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख जरूर पढें!


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एक राजा था जिसे राज भोगते काफी समय हो गया था बाल भी सफ़ेद होने लगे
थे । एक दिन उस ने अपने दरबार मे उत्सव रखा । उत्सव मे मुजरा करने वाली और अपने गुरु को बुलाया । दूर देश के राजाओं को भी । राजा ने कुछ मुद्राए अपने गुरु को दी जो बात मुजरा करने वाली की अच्छी लगेगी वह मुद्रा गुरु देगा।
सारी रात मुजरा चलता रहा । सुबह होने वाली थीं, मुज़रा करने वाली ने देखा मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है उस को जगाने के लियें मुज़रा करने वाली ने एक दोहा पढ़ा ,

" बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिहाई ।
एक पलक के कारने, ना कलंक लग जाए। "

अब इस दोहे का अलग अलग व्यक्तियों ने अलग अलग अपने अपने अनुरूप अर्थ निकाला ।
* तबले वाला सतर्क हो बजाने लगा ।
* जब ये बात गुरु ने सुनी, गुरु ने सारी मोहरे उस मुज़रा करने वाली को दे दी
* वही दोहा उस ने फिर पढ़ा तो राजा की लड़की ने अपना नवलखा हार दे दिया ।
* उस ने फिर वही दोहा दोहराया तो राजा के लड़के ने अपना मुकट उतार कर दे दिया ।
* वही दोहा दोहराने लगी राजा ने कहा बस कर एक दोहे से तुम ने वेश्या हो कर सब को लूट लिया है ।
जब ये बात राजा के गुरु ने सुनी गुरु के नेत्रो मे जल आ गया और कहने लगा, "राजा इस को तू वेश्या न कह, ये मेरी गुरू है । इस ने मुझें मत दी है कि मै सारी उम्र जंगलो मे भक्ति करता रहा और आखरी समय मे मुज़रा देखने आ गया हूँ । भाई मै तो चला।
राजा की लड़की ने कहा, " आप मेरी शादी नहीं कर रहे थे, आज मैंने आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद कर लेना था । इसनें मुझे सुमति दी है कि कभी तो तेरी शादी होगी । क्यों अपने पिता को कलंकित करती है ? "
राजा के लड़के ने कहा, " आप मुझे राज नहीं दे रहे थे । मैंने आप के सिपाहियो से मिल कर आप का क़त्ल करवा देना था ।इस ने समझाया है कि आखिर राज तो तुम्हे ही मिलना है । क्यों अपने पिता के खून का इलज़ाम अपने सर लेते हो?
जब ये बातें राजा ने सुनी तो राजा ने सोचा क्यों न मै अभी राजतिलक कर दूँ , गुरु भी मौजूद है । उसी समय राज तिलक कर दिया और लड़की से कहा बेटा, " मैं आपकी शादी जल्दी कर दूँगा। "
मुज़रा करने वाली कहती है , " मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, मै तो ना सुधरी। आज से मै अपना धंधा बंद करती हूँ। हे प्रभु ! आज से मै भी तेरा नाम सिमरन करुँगी ।

साभार:-
pictures courtesy


गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

ईश्वर मेंं विश्वास

ईश्वर मेंं विश्वास


 वह गाड़ी से उतरा और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट मे घुसा , जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था , उसे किसी कांफ्रेंस मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित की जा रही थी.....वह अपनी सीट पर बैठा और जहाज़ उड़ गया...अभी कुछ दूर ही जहाज़ उड़ा था कि....कैप्टन ने ऐलान किया  , तूफानी बारिश और बिजली की वजह से जहाज़ का रेडियो सिस्टम ठीक से काम नही कर रहा....इसलिए हम क़रीबी एयरपोर्ट पर उतरने के लिए मजबूर हैं.।
जहाज़ उतरा वह बाहर निकल कर कैप्टन से शिकायत करने लगा कि.....उसका एक-एक मिनट क़ीमती है और होने वाली कांफ्रेस मे उसका पहुचना बहुत ज़रूरी है....पास खड़े दूसरे मुसाफिर ने उसे पहचान लिया....और बोला डॉक्टर त्रेहन साहब आप जहां पहुंचना चाहते हैं.....टैक्सी द्वारा यहां से तीन घंटे मे पहुंच सकते हैं.....उसने शुक्रिया अदा किया और टैक्सी लेकर निकल पड़ा...

लेकिन ये क्या आंधी , तूफान , बिजली , बारिश ने चलना मुश्किल कर दिया , फिर भी वह चलता रहा...अचानक ड्राइवर को एह़सास हुआ कि वह रास्ता भटक चुका है...
नाउम्मीदी के उतार चढ़ाव के बीच उसे एक छोटा सा घर दिखा....इस तूफान मे वही ग़नीमत समझ कर गाड़ी से नीचे उतरा और दरवाज़ा खटखटाया....
आवाज़ आई....जो कोई भी है अंदर आ जाए..दरवाज़ा खुला है...

अंदर एक बुढ़िया आसन बिछाए भगवद् गीता पढ़ रही थी...उसने कहा ! मां जी अगर इजाज़त हो तो आपका फोन इस्तेमाल कर लूं...
बुढ़िया मुस्कुराई और बोली.....बेटा कौन सा फोन ?? यहां ना बिजली है ना फोन..
लेकिन तुम बैठो..सामने चरणामृत है , पी लो....थकान दूर हो जायेगी..और खाने के लिए भी कुछ ना कुछ मिल जायेगा.....खा लो ! ताकि आगे सफर के लिए कुछ शक्ति आ जाये...

डाक्टर ने शुक्रिया अदा किया और चरणामृत पीने लगा....बुढ़िया अपने पाठ मे खोई थी कि उसकेे पास उसकी नज़र पड़ी....एक बच्चा कंबल मे लपेटा पड़ा था जिसे बुढ़िया थोड़ी थोड़ी देर मे हिला देती थी...
बुढ़िया फारिग़ हुई तो उसने कहा....मां जी ! आपके स्वभावऔर एह़सान ने मुझ पर जादू कर दिया है....आप मेरे लिए भी दुआ कर दीजिए....मुझे उम्मीद है आपकी दुआऐं ज़रूर क़बूल होती होंगी...
बुढ़िया बोली....नही बेटा ऐसी कोई बात नही...तुम मेरे अतिथी हो और अतिथी की सेवा ईश्वर का आदेश है....मैने तुम्हारे लिए भी दुआ की है.... परमात्मा का शुक्र है....उसने मेरी हर दुआ सुनी है..
बस एक दुआ और मै उससे माँग रही हूँ शायद  जब वह चाहेगा उसे भी क़बूल कर लेगा...

 कौन सी दुआ..?? डाक्टर बोला...

बुढ़िया बोली...ये जो बच्चा तुम्हारे सामने अधमरा पड़ा है , मेरा पोता है , ना इसकी मां ज़िंदा है ना ही बाप , इस बुढ़ापे मे इसकी ज़िम्मेदारी मुझ पर है , डाक्टर कहते हैं...इसे खतरनाक रोग है जिसका वो इलाज नही कर सकते , कहते हैं एक ही नामवर डाक्टर है , क्या नाम बताया था उसका ! हां "त्रेहन" ....वह इसका ऑप्रेशन कर सकता है , लेकिन मैं बुढ़िया कहां उस तक पहुंच सकती हूं ? लेकर जाऊं भी तो पता नही वह देखने पर राज़ी भी हो या नही ? बस अब बंसीवाले से ये ही माँग रही थी कि वह मेरी मुश्किल आसान कर दे..!!

डाक्टर की आंखों से आंसुओं का सैलाब बह रहा है....वह भर्राई हुई आवाज़ मे बोला !
 माई...आपकी दुआ ने हवाई जहाज़ को नीचे उतार लिया , आसमान पर बिजलियां कौदवां दीं , मुझे रस्ता भुलवा दिया , ताकि मैं यहां तक खींचा चला आऊं ,हे भगवान! मुझे यकीन ही नही हो रहा....कि कन्हैया एक दुआ क़बूल करके अपने भक्तौं के लिए इस तरह भी मदद कर सकता है.....!!!!
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वह सर्वशक्तीमान है....परमात्मा के बंदो उससे लौ लगाकर तो देखो...जहां जाकर इंसान बेबस हो जाता है , वहां से उसकी परमकृपा शुरू होती है...। ॐ शान्ति..🙏🏼

मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

सीधे-सीधे लिख दें


घने जंगल से गुजरती हुई सड़क के किनारे एक ज्ञानी गुरु अपने चेले के साथ एक साइनबोर्ड लगाकर बैठे हुए थे, जिस पर लिखा था -


“ठहरिये … 

आपका अंत निकट है ! 

इससे पहले कि बहुत देर हो जाये , रुकिए ! … 

हम आपका जीवन बचा सकते हैं !”



एक कार फर्राटा भरते हुए वहाँ सेगुजरी. चेले ने ड्राईवर को बोर्डपढ़ने के लिए इशारा किया
…ड्राईवर ने बोर्ड की ओर देखकर भद्दी सी गाली दी और चेले से यह कहता हुआ निकल गया –
“तुम लोग बियाबान जंगल में भी धंधा कर रहेहो ! शर्म आनी चाहिए !”

चेले ने असहाय नज़रों से गुरूजी की ओर देखा.

गुरूजी बोले – “जैसे प्रभु की इच्छा !”

कुछ ही पल बाद कार के ब्रेकों के चीखने की आवाज आई और एक जोरदार धमाका हुआ.

कुछ देर बाद एक मिनी-ट्रक निकला. उसका ड्राईवर भी चेले को दुत्कारते हुए बिना रुके आगे चला गया.कुछ ही पल बाद फिर ब्रेकों के चीखने की आवाज़ और फिर धड़ाम …. !

गुरूजी फिर बोले – “जैसी प्रभु की इच्छा !”

अब चेले से नहीं रहा गया. बोला – “गुरूजी, प्रभु की इच्छा तो ठीक है पर कैसा रहे यदि हम इस बोर्ड पर सीधे-सीधे लिख दें कि -..

‘आगे पुलिया टूटी हुई है’ … !!!”