रविवार, 21 मई 2017

सफलता और असफ़लता के बीच की दुरी




     

    

कई बार आप "सफल" होने के काफी क़रीब पहुँच कर भी "असफल" हो जाते हैं, इसका मतलब यह क़तई नहीं कि आप के प्रयास में कोई कमी है, इसका सीधा सा कारण है, कि आप महसूस नही कर पाए, और "सफलता" की अन्तिम सीढ़ी से बंचित हो गए । इस लिए आप का प्रयास तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक खुद को "सफल" हो जाने का पक्का यक़ीन न हो जाय ।





















साभार : श्री बी. एल. सिंह यादव 
लेखक, विचारक एवं सामजिक कार्यकर्त्ता 


2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

ऐसे सुविचार और व्यक्तित्व का अनुगमन ही भावी पीढ़ी के उत्थान का मूल मंत्र है..... जय श्री कृष्ण ..... जय गोपाल


AK Swami ने कहा…

मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्रोत आप दोनों महापुरुषों को नमन